14 दिसंबर 2025 को भारतीय जनता पार्टी ने अपने इतिहास में पहली बार नितिन नबीन को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया। 45 वर्षीय ये नेता, जो बिहार के बांकीपुर से लगातार पांच बार विधायक रह चुके हैं, अब दिल्ली के भारतीय जनता पार्टी मुख्यालय के सिरे पर खड़े हैं। अगले दिन, 15 दिसंबर को, अमित शाह और जेपी नड्डा ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि एक संकेत है — बीजेपी का नेतृत्व अब उत्तर भारत के गहरे इलाकों से भी आएगा।
क्यों नितिन नबीन? एक अनपढ़ बनाम नेता की कहानी
नितिन नबीन का नाम आमतौर पर मीडिया में नहीं चलता। लेकिन पार्टी के अंदर उनकी जमीनी ताकत बहुत बड़ी है। बांकीपुर में उनका वोटर बेस इतना मजबूत है कि वहां किसी दूसरे उम्मीदवार के लिए जीतना लगभग असंभव है। लेकिन उनकी असली पहचान छत्तीसगढ़ में बनी। वहां उन्होंने 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी के प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी। उस दौरान उन्होंने न सिर्फ विपक्षी दलों को घेर लिया, बल्कि गांव-गांव जाकर नए कार्यकर्ताओं को तैयार किया। यही काम उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की नजर में आया।
अंतरिम नियुक्ति: एक जानबूझकर रखा गया फैसला
यह नियुक्ति अंतिम नहीं है। बीजेपी के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव के लिए 50% राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने चाहिए। अभी तक 37 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों में से 30 में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन पार्टी ने जानबूझकर चुनाव को टाल दिया है। अगला मोड़ मकर संक्रांति के बाद आएगा। चुनाव प्रक्रिया कम से कम चार दिन लेगी — इसलिए जनवरी के अंत या फरवरी 2026 में नया अध्यक्ष चुना जा सकता है। उसके बाद, अप्रैल 2026 में बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नितिन नबीन के चयन पर औपचारिक मुहर लग सकती है।
कार्यकारी अध्यक्ष का अज्ञात इतिहास
दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष का कोई अधिकारिक पद नहीं है। यह पद 2019 में तब बना जब अमित शाह गृहमंत्री बने और जेपी नड्डा को उनकी सहायता के लिए इस पद पर बैठाया गया। तब से यह एक अनौपचारिक लेकिन बेहद शक्तिशाली भूमिका बन गई। नड्डा ने इसी पद से लोकसभा चुनाव जीता। अब नितिन नबीन उसी राह पर चल रहे हैं। उनका काम अभी तक नड्डा के साथ रोजमर्रा के कामकाज में मदद करना है — जैसे 2019 में नड्डा ने शाह के साथ किया था।
बंगाल के बाद क्या? राजनीतिक नक्शा बदल रहा है
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद की तैयारी का हिस्सा है। पार्टी को अब दो बड़े चुनाव के बीच एक अवकाश चाहिए — बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश और बिहार। नितिन नबीन की नियुक्ति इसी तैयारी का हिस्सा है। उत्तर प्रदेश में अभी तक प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं हुआ था। लेकिन उसके एक दिन बाद ही नितिन नबीन का नाम आ गया। यह एक ताकत का संदेश है: बीजेपी अब टालने की बजाय आगे बढ़ रही है।
बिहार का इतिहास बदल रहा है
बिहार से अब तक कोई भी नेता बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बना। यह एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी को अक्सर लोकतांत्रिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नितिन नबीन की नियुक्ति इस बात का प्रमाण है कि पार्टी अब उन इलाकों को भी अपना बना रही है, जहां वह पहले बल लगाती थी। उनकी उम्र — 45 साल — भी एक संदेश है। बीजेपी अब उन नेताओं को आगे लाने जा रही है जो उम्र में नये हैं, लेकिन अनुभव में पुराने।
अगला कदम: अप्रैल 2026 तक का नक्शा
अगले तीन महीने नितिन नबीन के लिए टेस्ट रन होंगे। वे राष्ट्रीय परिषद की बैठक में अपने चयन के लिए अपील करेंगे। उसके बाद, जनवरी-फरवरी 2026 में होने वाले अध्यक्ष चुनाव में उनका समर्थन जुटाना होगा। उनके लिए चुनौती यह होगी कि वे केवल बिहार या छत्तीसगढ़ के नेता नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक नेता बन जाएं। उनके पास एक बड़ा फायदा है — वे शाह और मोदी के नजरिए के साथ पूरी तरह एकजुट हैं। और यही बीजेपी के लिए अब सबसे जरूरी है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्यों बीजेपी ने नितिन नबीन को चुना, जबकि अन्य नेता भी थे?
नितिन नबीन को उनकी जमीनी ताकत और छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के कार्यक्रम के लिए चुना गया। उन्होंने एक ऐसे राज्य में विपक्षी दलों को घेर लिया, जहां बीजेपी को पहले बहुत संघर्ष करना पड़ता था। उनका काम शाह और मोदी के दृष्टिकोण के साथ बिल्कुल मेल खाता है — यही पार्टी के लिए सबसे महत्वपूर्ण था।
क्या यह नियुक्ति अंतिम है या अस्थायी है?
यह अस्थायी नियुक्ति है। बीजेपी संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 30 राज्यों में संगठन चुनाव पूरे होने के बाद होता है। यह शर्त पूरी हो चुकी है, लेकिन पार्टी ने चुनाव को मकर संक्रांति के बाद टाल दिया है। अप्रैल 2026 में राष्ट्रीय परिषद की बैठक में नितिन नबीन का चयन औपचारिक हो सकता है।
क्या बिहार से अध्यक्ष बनना कोई बड़ी बात है?
बिहार से किसी नेता को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना पहली बार है। यह एक सांकेतिक कदम है — पार्टी अब उन राज्यों को भी शक्ति के केंद्र में लाने जा रही है, जहां उसका नेतृत्व अभी भी अस्थिर है। यह नियुक्ति बिहार के युवा नेताओं के लिए एक प्रेरणा बन सकती है।
नितिन नबीन की उम्र और अनुभव कैसे उनके लिए फायदेमंद है?
45 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व लेना बीजेपी के लिए नया है। वे युवा हैं, लेकिन बांकीपुर से पांच बार विधायक बन चुके हैं। उनका अनुभव दोहरा है — एक तरफ जमीनी राजनीति, दूसरी तरफ राज्यों के विकास का काम। यह उन्हें एक अनूठा नेता बनाता है।
क्या यह नियुक्ति लोकसभा चुनाव 2029 के लिए एक रणनीति है?
हां। बीजेपी अब उन नेताओं को आगे ला रही है जो 2029 के चुनाव में बड़े राज्यों में जीत सकें। नितिन नबीन बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों के साथ जुड़े हैं। उनकी नियुक्ति इस बात का संकेत है कि पार्टी अपने नेतृत्व को आगे की दिशा में ले जा रही है, न कि बस वर्तमान नेताओं के साथ रुककर।