88 वर्ष की उम्र में Pope Francis का निधन हो गया, इससे वेटिकन और दुनियाभर के ईसाई समुदाय में शोक की लहर है। 21 अप्रैल 2025 को, cerebral stroke और उससे हुई दिल की विफलता के चलते उनका देहांत हुआ। Pope Francis का अंतिम समय वेटिकन सिटी के Casa Santa Marta निवास में बीता। निधन से पहले, उन्हें रोम के Gemelli Hospital में पाँच हफ्ते भर्ती रहना पड़ा था, जहाँ उनका इलाज फेफड़ों के संक्रमण और निमोनिया के लिए चल रहा था। हालत थोड़ी संभली तो अस्पताल से छुट्टी मिल गई लेकिन उनकी सेहत पूरी तरह दुरुस्त नहीं हो सकी।
उनकी मृत्यु के एक दिन पहले ही, अमेरिकी उपराष्ट्रपति JD Vance परिवार के साथ रोम आए और Pope Francis से भेंट की। Vance ने 2019 में खुद कैथोलिक धर्म को अपनाया था, ऐसे में यह मुलाकात उनके लिए बेहद खास थी। Vance ने Pope Francis की COVID-19 काल की एक होमिली को याद करते हुए, उनके प्रति अपनी गहरी श्रद्धा जाहिर की।
Pope Francis के निधन के बाद वेटिकन में 'sede vacante' (खाली सिंहासन) की पुरानी परंपरा फिर चली। Cardinal Kevin Farrell, जो Camerlengo की भूमिका में हैं, उन्होंने पोप के बपतिस्मा नाम को तीन बार पुकारकर उनकी मृत्यु की औपचारिक घोषणा की। जैसे नियम है, पोप के निजी अपार्टमेंट को तुरंत सील कर दिया गया और सभी Curia के कार्डिनल्स—कुछ चुनिंदा पदाधिकारियों को छोड़कर— को उनके पदों से मुक्त कर दिया गया।
Pope Francis अपने जीवन में हमेशा सरलता के पक्षधर रहे। उनके निर्देश पर अंतिम संस्कार भी प्राचीन शानो-शौकत के बजाय सादगी से होगा। पदचिह्न थे कि तीन ताबूत—साइप्रेस, लेड और ओक की परंपरा— अब नहीं निभाई जाएगी। सिर्फ एक लकड़ी का ताबूत (जिसमें जिंक की लेयर होगी) इस्तेमाल होगा। शरीर का लम्बा सार्वजनिक दर्शन भी नहीं रखा जाएगा। अंतिम क्रिया सीधे संत पेत्रुस बासिलिका में 'Missa Poenitentialis' के साथ होगी जहाँ दुनियाभर की बड़ी हस्तियां जुटेंगी।
इन दिनों वेटिकन प्रशासन की कमान Camerlengo के हाथ में है। अगले 20 दिन के भीतर सारे कार्डिनल्स जुटेंगे और बंद दरवाजों के अंदर Conclave आयोजित होगा—यहीं नए पोप का चुनाव होगा। तब तक दुनिया की सबसे छोटी लेकिन असरदार सत्ता, बिना स्थायी मुखिया के चलेगी।
टिप्पणि (20)
sharmila sharmila अप्रैल 21 2025
Pope Francis की सादगी हमेशा से लोगों को प्रेरित करती है। उनका जीवन बहुत ही साधा था, और उन्होंने कभी भी महँगी शोभा‑शौकत नहीं चुनी। यह बात वेतिकन में भी साफ़ साफ़ देखी गई थी कि उन्होंने अपने घर में भी न्यूनतम चीज़ें रखी थीं। हमें अब भी उनके इस उदाहरण से सीखना चाहिए।
Shivansh Chawla अप्रैल 21 2025
वेतिकन की ये पुरानी रीतियों को अब केवल ऐतिहासिक अति‑कोटि मानना चाहिए; आज के वैश्विक माहौल में ऐसी अंधाधुंध परम्पराओं को ध्वस्त कर, राष्ट्रीय स्वाधीनता को प्राथमिकता देना आवश्यक है। इस प्रकार के अतिप्राचीन धंधे वैश्विक शक्ति संतुलन को नुकसान‑पहुंचाते हैं।
Akhil Nagath अप्रैल 21 2025
समय के प्रवाह में मानवत्व की अनुपस्थिति को देख कर हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि पोप फ़्रांसिस का जीवन एक नैतिक कम्पास था, जो अनिश्चितता के बीच दिशा‑दर्शन करता था। उनका त्याग और अहिंसा का संदेश आज की दुर्भिक्षणित समाज के लिए एक परिपूर्ण सिद्धांत बनता है। :)
vipin dhiman अप्रैल 21 2025
ये सब बेकार है।
vijay jangra अप्रैल 21 2025
पोप फ़्रांसिस ने जीवन भर सामाजिक न्याय के लिए काम किया, चाहे वह गरीबी‑मुक्ति की पहल हो या पर्यावरण‑संरक्षण की घोषणा। उनकी सादगी ने हमें यह सिखाया कि सच्चा प्रभाव भव्यता में नहीं, बल्कि सच्चे इरादों में निहित होता है।
Vidit Gupta अप्रैल 21 2025
वास्तव में, पोप का अंतिम संस्कार, सादगी के सिद्धांत को प्रतिबिंबित करता है, तथा, यह दर्शाता है कि धार्मिक परम्पराएँ भी बदल सकती हैं, यदि, उन्हें आवश्यक समझा जाये।
Gurkirat Gill अप्रैल 21 2025
हमें इस बात को लागू करने के लिए स्थानीय स्तर पर सरलता के मॉडल को अपनाना चाहिए, ताकि हर समुदाय में सच्ची समानता स्थापित हो सके।
Sandeep Chavan अप्रैल 21 2025
चलो, पोप फ़्रांसिस की सीख को अपनाते हुए, अपने जीवन में भी अनावश्यक दिखावे को छोड़ें, और सच्ची मानवीय सेवा की ओर कदम बढ़ाएँ! हम सब मिलकर इस बदलाव को संभव बना सकते हैं!
anushka agrahari अप्रैल 21 2025
आपकी इस प्रेरक टिप्पणी के लिए धन्यवाद, यह विचार वास्तव में गहरी introspection को प्रेरित करता है। :)
aparna apu अप्रैल 21 2025
वेटिकन के इस ऐतिहासिक क्षण में, कई लोग भगवान के प्रति और भी गहरी भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। पोप फ़्रांसिस की मृत्यु, एक युग के अंत को दर्शाती है, जहाँ उनका नेतृत्व समानता, अनाथ बच्चों की मदद, और आर्थिक शोषण के विरुद्ध संघर्ष के रूप में याद किया जाएगा। उनके कार्यों का प्रभाव न केवल कैथोलिक समुदाय में बल्कि वैश्विक सामाजिक संरचना पर भी गहरा रहा है। प्रत्येक कार्य स्थल में उनकी सादगी की प्रतिध्वनि सुनाई देती है, चाहे वह एक छोटे गाँव का चर्च हो या बड़े शहर की सिटी हॉल।
उनकी व्यक्तिगत जीवनशैली भी अत्यधिक साधारण थी; उन्होंने महँगी कारों या निजी जेट्स को कभी नहीं अपनाया, जो आज के युग में एक उल्लेखनीय विरोधाभास है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि उनका यह दृष्टिकोण आज के युवाओं को भी प्रेरित कर सकता है, ताकि वे अपने मूल्यों में सच्चे रहें।
इसके अलावा, पोप की स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों ने दिखाया कि मानव जीवन कितनी नाज़ुक होती है, और कैसे छोटी‑छोटी बीमारियाँ भी बड़ी चुनौतियों में बदल सकती हैं। उनके समालोचक भी इमानदारी से उनका सम्मान करते हैं, क्योंकि उन्होंने कभी भी व्यक्तिगत लाभ के लिए पद नहीं छोड़ा।
वेटिकन के भविष्य में, नई पीढ़ी के पोप को चुनने की प्रक्रिया में कई प्रश्न उठेंगे, जैसे कि क्या वह भी फ़्रांसिस जैसी नीतियों को अपनाएगा? यह निर्वाचित प्रक्रिया, इतिहास में पहली बार, अधिक पारदर्शी और खुली होगी। आखिरकार, यह विश्व की आशा है कि आने वाला पोप भी शांति और समानता की दिशा में कार्य करेगा।
इस गंभीर क्षण में, विश्व के नेताओं को भी इस बात को समझना चाहिए कि धार्मिक संस्थाएँ भी सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। यह केवल धर्म के बारे में नहीं, बल्कि मानवता के भविष्य के बारे में है।
अंत में, हमें इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि पोप फ़्रांसिस का जीवन एक प्रेरणा है, जो हमें सरलता, सहानुभूति, और नैतिक दृढ़ता के मार्ग पर चलने का संकेत देता है।
arun kumar अप्रैल 22 2025
तुम्हारे विचार सही हैं, लेकिन हमें हर चीज़ में बहुत सख़्ती नहीं करनी चाहिए।
Karan Kamal अप्रैल 22 2025
क्या वास्तव में पोप की सादगी ने सभी धर्मों में समानता को बढ़ावा दिया, यह जांचना ज़रूरी है।
Navina Anand अप्रैल 22 2025
आपका प्रश्न उजागर करता है कि सादगी का प्रभाव कितना व्यापक हो सकता है; यह वास्तव में विचारणीय है।
Prashant Ghotikar अप्रैल 22 2025
पोप के निधन से विश्व भर में आध्यात्मिक शोक महसूस किया जा रहा है। उनका संदेश हमेशा मानवता के लिए एक प्रकाशस्तंभ रहेगा। कई लोग उनके विचारों को अपनाकर अपना जीवन बदलेंगे। फिर भी, समय के साथ उनकी विरासत का मूल्यांकन जारी रहेगा।
Sameer Srivastava अप्रैल 22 2025
वास्तव में, पोप फ़्रांसिस का कार्य, धार्मिक‑राजनीतिक स्वरूप में, एक विस्तृत अध्ययन‑पात्र है; जिससे, कई सिद्धांतकार नए दृष्टिकोण उभार सकते हैं।
Mohammed Azharuddin Sayed अप्रैल 22 2025
यह देखना दिलचस्प है कि विभिन्न सांस्कृतिक संदर्भों में पोप की विरासत कैसे अनुकूलित की जा रही है, और इसका सामाजिक प्रभाव क्या होगा।
Avadh Kakkad अप्रैल 22 2025
शायद आगे के अध्ययनों में इन पहलुओं को और विस्तार से समझा जा सकेगा।
Sameer Kumar अप्रैल 22 2025
पोप फ़्रांसिस की कहानी हमें सिखाती है कि विश्वधर्म एकता की दिशा में छोटे‑छोटे कदम भी बहुत मायने रखते हैं
naman sharma अप्रैल 22 2025
यदि हम गहन विश्लेषण करें तो यह सम्भव है कि पोप की मृत्यु के पीछे असामान्य राजनीतिक प्रतिप्रभाव हो सकते हैं; यह सिद्धान्तिक रूप से निरूपित किया जा सकता है।
Sweta Agarwal अप्रैल 22 2025
हां, अब तो वेटिकन को भी सादगी के साथ नया फॅशन चाहिए।