भारतीय बैडमिंटन जोड़ी सेट्विकसाइराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने पेरिस ओलंपिक में पुरुष युगल क्वार्टर फाइनल में दिल तोड़ने वाली हार का सामना किया। ये जोड़ी जिनसे देश को बहुत उम्मीदें थीं, टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी। मलेशिया की विश्व नंबर 3 जोड़ी आरोन चिया और सोह वुई यिक का सामना करते हुए, पहले गेम में 21-13 से जीत हासिल करने के बाद वे अपनी गति को बरकरार नहीं रख पाए।
पहले गेम में भारतीय जोड़ी ने जर्बदस्त प्रदर्शन किया। उनकी आक्रामक खेल शैली ने मलेशिया की जोड़ी को लगभग परास्त कर दिया था। सेट्विक और चिराग ने पहले गेम को बड़ी आसानी से 21-13 से जीतकर अपनी ताकत का परिचय दिया। उनकी रफ्तार और ताकत भरी स्मैश ने मलेशियाई जोड़ी को संभलने का मौका नहीं दिया।
मगर, दूसरे गेम में मलेशियाई जोड़ी ने खुद को संभालते हुए रणनीति में बदलावा किया। उन्होंने खेल को फ्लैट और तेज गति से खेलना शुरू किया जिससे भारतीय जोड़ी की आक्रमण की क्षमता धीमी पड़ गई। इस गेम में उन्होंने 21-14 से जीत हासिल की, जिससे मुकाबला तीसरे और निर्णायक गेम तक खिंच गया।
अंतिम और निर्णायक गेम की शुरुआत काफी टकरावपूर्ण रही। दोनों जोडियां जीत के लिए जी जान से लगी रही। खेले गए हर पॉइंट में तनाव अत्यधिक बढ़ गया था। हलांकि, मलेशियाई जोड़ी ने अपनी संयमितता और चतुर खेल रणनीति से 21-16 से जीत हासील की और सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाई।
भारतीय जोड़ी की यह हार न केवल उनके लिए बल्कि उनके समर्थन में खड़ी करोड़ों भारतीयों के लिए भी निराशाजनक साबित हुई। इससे पहले वे एशियाई खेल और राष्ट्रमंडल खेल में अपनी जीत से पूरे देश को गर्वित कर चुके थे। उनका पेरिस ओलंपिक से जल्दी बाहर होना वास्तव में उनके गोल्ड मेडल के सपनों पर एक बड़ा झटका साबित हुआ।
मलेशियाई जोड़ी अब सेमीफाइनल में चीन की शीर्ष वरीयता प्राप्त जोड़ी लियांग वेई केंग और वांग चांग के खिलाफ खेलेगी। वे दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी हैं और उनके खिलाफ जीत हासिल करने की कठिन चुनौती होगी।
हालाँकि, इस साल, सेट्विक और चिराग ने फ्रेंच ओपन और थाईलैंड ओपन में विजय पताका फहराई थी और चार बार फाइनल में पहुंचकर एक शानदार प्रदर्शन किया था। इस जोड़ी ने इंडोनेशिया के मुहम्मद रियान अर्दिनतो और फाजर अल्फियन के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई थी, इस बात का परिचय देते हुए कि वे वास्तव में कितने अद्वितीय और संघर्षशील खिलाड़ी हैं।
इस हार के बावजूद, सेट्विकसाइराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने अपने ताकत और तकनीक से खेल के उच्चतम स्तर पर अपने प्रदर्शन का प्रभाव छोड़ा। उनके प्रयास और उपलब्धियां निस्संदेह आने वाले समय में भारतीय बैडमिंटन के भविष्य को उज्ज्वल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
टिप्पणि (17)
suchi gaur अगस्त 1 2024
सेट्विक और चिराग की खेल शैली तो बेमिसाल थी, पर क्वार्टर फाइनल में रणनीति के अभाव ने उन्हें पीछे धकेल दिया 🙄✨
Rajan India अगस्त 6 2024
मजेदार बात है, वो दोनों पहले गेम में धूम मचा रहे थे, फिर दूसरा गेम जैसे उलटा पुलिस बन गया, पर फिर भी उनका उत्साह देखना अच्छा रहा।
Vishal Kumar Vaswani अगस्त 11 2024
क्या आपको नहीं लगता कि इस हार के पीछे कहीं बड़ा षड्यंत्र छिपा है? शायद अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन संघ ने कुछ निर्णयों में पक्षपात किया है, और हमारे खिलाड़ी मलेशिया के खिलाफ कठिन परिस्थितियों में डाल दिया गया। 🤔🕵️♂️
Zoya Malik अगस्त 16 2024
सिर्फ़ हार को ही नहीं, बल्कि उनके बाद के बयान को भी देख रहा हूँ-एकदम आत्म-ह्रासकारी, जैसे ही दिन की शुरुआत में ही मूड खराब हो जाए।
Ashutosh Kumar अगस्त 21 2024
क्या ड्रामा है भाई! पहले तो हर पॉइंट पर जयकार, अब क्वार्टर फाइनल में कूदते-छूटते, जैसे फ़िल्मी सीन में ही हो! 🎭
uday goud अगस्त 26 2024
सेट्विकसाइराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर जिस उत्साह और साहस का प्रदर्शन किया, वह निस्संदेह भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में एक मील का पत्थर है; उन्होंने पहले गेम में 21-13 की बहुती मजबूत जीत करके विश्व को यह संदेश दिया कि भारत फिर से शीर्ष पर लौट रहा है, परन्तु खेल के द्वितीयक चरण में, मलेशिया की जोड़ी ने रणनीतिक बदलाव कर, गति और कोर्ट कवरेज में अति कुशलता प्रदर्शित की, जिसने भारतीय जोड़ी को पारस्परिक रिती से असहज कर दिया; यह परिवर्तन न केवल शारीरिक दृढ़ता की परीक्षा थी, बल्कि मानसिक दृढ़ता की भी; जब हम कोचिंग के पहलुओं को देखें, तो स्पष्ट है कि भारतीय टीम को अधिक लचीलापन और अनुकूलनशीलता की आवश्यकता है, जो भविष्य में हो सके; इस प्रकार की हारें अक्सर युवा खिलाड़ियों को नई तकनीकी एवं रणनीतिक समझ विकसित करने के लिए प्रेरित करती हैं; यह भी उल्लेखनीय है कि सेट्विक और चिराग ने अपने पिछले टूरों में कई शीर्ष स्तर के टूर्नामेंट जीते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास उच्चतम स्तर पर था; लेकिन ओलंपिक जैसी उच्च दबाव वाली प्रतियोगिता में, कोई भी छोटा-छोटा विवरण परिणाम को बदल सकता है; इस संदर्भ में, बैनर को बदलना, शॉट चयन, और कोर्ट पर संचार जैसी बारीकियों का महत्व बढ़ जाता है; लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने फ़्रेंच ओपन और थाईलैंड ओपन में अद्भुत जीत हासिल की थी, जो उनके प्रतिस्पर्धी स्तर को दर्शाती है; व्यक्तिगत रूप से, मैं उनके खेल में गहराई से विश्लेषण करके, अगले सत्र में अतिरिक्त प्रशिक्षण मोड्यूल जोड़ने की सिफारिश करता हूँ; इसके अलावा, भारतीय बैडमिंटन संघ को चाहिए कि वे अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थन बढ़ाए; इस प्रकार का समर्थन न केवल खिलाड़ियों को आत्मविश्वास देता है, बल्कि युवा प्रतिभाओं को भी प्रेरित करता है; अंत में, मैं यह कहूँगा कि इस हार से निराश होने के बजाय, इसे एक सीख के रूप में देखना चाहिए और भविष्य की प्रतियोगिताओं में इस अनुभव को उपयोगी बनाना चाहिए; यही वह मार्ग है जिससे हम विश्व स्तर पर अपनी जगह पक्की कर सकते हैं।
Chirantanjyoti Mudoi अगस्त 31 2024
बहुतेक बातें वहीँ तक सही हैं, पर फिर भी अति आलोचना से कुछ नहीं बना; रणनीति के अलावा, कभी‑कभी बस एक छोटा‑सा स्मैश ही खेल बदल देता है।
Surya Banerjee सितंबर 5 2024
भाई, तुम सही कह रहे हो, लेकिन अगली बार ट्रेनिंग में इसपर ज़्यादा काम करना पड़ेगा, चलो मिलके एक प्लान बनाते हैं।
Sunil Kumar सितंबर 10 2024
वाओ, क्या सच्ची मौसमी हार थी, मानो बर्फीली हवा में बास्केटबॉल खेल रहे हों-बहुत ही अनोखा! 😏
Ashish Singh सितंबर 15 2024
आदरणीय पाठकों, भारतीय बैडमिंटन प्रतिनिधि दल की इस प्रतियोगिता में असफलता, राष्ट्र की शारीरिक शिक्षा नीति के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता को स्पष्ट करती है, तथा भविष्य के चयन प्रक्रिया में अधिक कठोर मानदंडों को अपनाना अनिवार्य है।
ravi teja सितंबर 15 2024
भाईसाहब, बात समझ आ गई, लेकिन थोड़ा दफ़ा मज़ा भी जोड़िए।
Harsh Kumar सितंबर 19 2024
चलो, हार को सीख बनाकर आगे बढ़ते हैं, अगली बार फिर से जीतेंगे! 💪🌟
Parul Saxena सितंबर 24 2024
समय की धारा में जब हम किसी खिलाड़ी की यात्रा को देखते हैं, तो वह केवल जीत-हार से नहीं, बल्कि उस यात्रा के बीच के संघर्ष, समर्पण और निरंतर प्रयत्नों से परिभाषित होती है; इस दृष्टि से देखे तो सेट्विक और चिराग ने अपने करियर में कई मोड़ देखे हैं, जहाँ उन्होंने न केवल व्यक्तिगत रूप से बल्कि टीम के रूप में भी कई उन्नतियों को हासिल किया है; उनका फ्रेंच ओपन और थाईलैंड ओपन में खिताब, यह साबित करता है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम हैं; फिर भी, ओलंपिक की क्वार्टर फाइनल में उनका पराजय, यह दर्शाता है कि उच्चतम स्तर पर छोटे‑छोटे अंतर भी बड़ा प्रभाव डालते हैं; यह हमें यह याद दिलाता है कि खेल में निरंतर सुधार और निरंतर सीखना आवश्यक है; साथ ही, इस प्रकार की हारें युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती हैं, क्योंकि वे देखेंगे कि किस तरह से बड़े खिलाड़ी भी कठिनाइयों का सामना करते हैं; इसलिए, हमें न केवल परिणाम पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि प्रक्रिया और प्रयास पर भी गौर करना चाहिए; अंततः, यह यात्रा निरंतरता, धैर्य और आत्मविश्वास का संगम है, जो भारतीय बैडमिंटन को भविष्य में नई ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
Ananth Mohan सितंबर 25 2024
यह विश्लेषण बहुत सटीक है, विशेष रूप से प्रक्रिया पर जोर देना आवश्यक है।
Abhishek Agrawal सितंबर 29 2024
भाई, ये सब अति‑सैद्धांतिक बातों में उलझते नहीं हैं; असली खेल तो कोर्ट पर ही होता है; मैदान में तेज‑रफ़्तार प्रतिद्वंद्विता और निरंतर शारीरिक फिटनेस ही असली कुंजी है!!!
Rajnish Swaroop Azad अक्तूबर 4 2024
ओलंपिक का क्वार्टर फाइनल केवल एक स्टेज है फिर भी इसका असर बड़ा है
bhavna bhedi अक्तूबर 9 2024
दोस्तों आज की हार से निराश नहीं होना चाहिए चलिए आगे की यात्रा में ऊर्जा लगाएँ और अगली बार जीत की बैनर लेकर आएँ